जानें क्यों है नॉन मेडिकल कॉमर्स से बेहतर। क्या कहते हैं कामयाब विद्यार्थी? शिक्षाविदों की राय।
दसवीं के नतीजे और इसके बाद चुने गए कोर्स से ही भावी जीवन का करियर तय होता है। जरा-सी चूक भविष्य को बर्बाद करने के लिए पर्याप्त है। दसवीं के रिजल्ट की घोषणा होने के बाद से ही अधिकांश स्टूडेंट्स और उनके अभिभावक इस सोच में पड़ जाते हैं कि अब आगे क्या करना है? कौन सा सब्जेक्ट उन्हें रखना है या साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स में से कौन सा संकाय जॉब-ओरिएंटेड सिद्ध हो सकता है? ऐसे ही कुछ सवालों से स्टूडेंट्स का सामना होना लाजमी भी है। इस क्रम में दोस्तों-रिश्तेदारों और न जाने किस-किस से मुफ्त की गाइडेंस मिलती रहती है, लेकिन इनमें से अधिकांश जानकारियां आधी-अधूरी और प्राय: अत्यंत सीमित व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित होती हैं, जिन्हें मानक या रोल मॉडल के रूप में इस्तेमाल करने से कभी-कभी फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो सकता है।
जानें क्यों है नॉन मेडिकल कॉमर्स से बेहतर
दसवीं का रिजल्ट आने को है। लेकिन रिजल्ट आने से पहले ही विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों में बच्चों के करियर को लेकर तरह तरह की आशंकाओं के बादल मंडराने लगते हैं। आमतौर पर अधिकतर विद्यार्थी भेड़चाल अपनाते हुए उसी विषय में दाखिला लेने का प्रयास करते हैं जिसमें उनका दोस्त या सगा-संबंधी जाता है लेकिन ये प्रचलन आत्मघाती कदम साबित हो सकता है। क्योंकि जरूरी नहीं कि जिस विषय में आपका दोस्त परिपक्व है, उसी विषय में आप भी बेहतर हो। आज की पीढ़ी के पास अच्छे अध्यापक व ट्रेनिंग के टूल्स हैं। उनके पास ज्ञान की गंगा है। इसी के साथ-साथ उनमें आत्मविश्वास है पर इस सबके बीच उन्हें अच्छी गाइडेंस की जरूरत है। पिछले दशक में कॉमर्स को मेडिकल एवं नॉन-मेडिकल से बेहतर विकल्प माना जाने लगा था, लेकिन धीरे-धीरे ये मिथक अब टूट रहा है। विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों के संज्ञान में ये बात आ रही है कि कामर्स की बजाए नॉन मेडिकल बेहतर करियर विकल्प हो सकता है, इसके पीछे की वजह भी बहुत साफ है। यह सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन आपके लिए कई कोर्सेज के रास्ते खोलता है। आप इंजीनियरिंग, बीसीए, बीएससी, बीएससी ऑनर्स, बीटेक जैसे साइंस से जुड़े कोर्स में आगे की पढ़ाई कर सकते हैं। कामर्स से स्नातक करने वाला विद्यार्थी आगे जाकर महज बैंकिंग या मैनेजमेंट सैक्टर में ही अपनी नौकरी की संभावनाएं तलाश सकता है जबकि नॉन मेडिकल में ग्रेजुएट भविष्य की योजनाओं एवं परिस्थितियों मुताबिक कई सेक्टर में सैटल हो सकता है। आमतौर पर कामर्स के बाद पहले बैंकिंग सेक्टर की जॉब्स की ओर ही ध्यान जाता था लेकिन अब तो बैकिंग सेक्टर भी कामन टैस्ट लेता है जिसके बाद दूसरे संकायों के विद्यार्थी भी अब बैंकों में आसानी से नौकरी प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि कामर्स में अब प्रतिस्पर्धा पहले से बहुत ज्यादा कड़ी हो गई है। जिसके नतीजे बेरोजगारी के रूप में सामने आ रहे हैं।
क्या कहते हैं कामयाब विद्यार्थी
'मैने नॉन मेडिकल संकाय से ग्रेजुएशन किया था, इस कारण से आज मैं सॉफ्टवेयर इंजिनियर के तौर पर एक निजी कंपनी में अच्छे पैकेज पर पोस्टेड हूं। मैने कुछ अलग नहीं किया, मैने भीड़ का हिस्सा बनने की बजाए अपने शिक्षकों के साथ बैठकर अपने भविष्य पर चर्चा की थी और मेरे शिक्षकों ने ही मुझे नॉन मेडिकल की सलाह दी थी, जिसपर अमल करने के बाद आज मैं इस मुकाम पर हूं कि अपने भविष्य को लेकर पूरी तरह निश्चिंत हूं - अतुल शर्मा, पूर्व छात्र, अपैक्स पब्लिक स्कूल, फतेहाबाद
शिक्षाविदों की राय
'फिलहाल आज के दौर में मेरा मानना है कि नॉन मेडिकल मल्टीवे करियर पथ है। यहां के विद्यार्थी भविष्य में भी अपने हालात के अनुसार किसी भी स्ट्रीम या सेक्टर में स्विच कर सकता है। कॉमर्स सहित बाकी संकायों में ऐसी सहजता और किसी भी परिस्थिति में खुद को ढालने का अवसर नहीं मिल पाता। बढती बेरोजगारी के मद्देनजर किसी भी प्रकार का जोखिम लेना विद्यार्थी के लिए घातक हो सकता है, इसलिए अपने करियर की प्लानिंग विद्यार्थी को दसवीं के तुरंत बाद शुरू कर देनी चाहिए ताकि वह अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त रह सके - डा. अजय धमीजा, प्रसिद्ध शिक्षाविद, फतेहाबाद
'मेरी राय में आज के विद्यार्थी सबके साथ चलना चाहते हैं लेकिन कामयाब होने के लिए आपको अपना रास्ता दूसरों से अलग बनाना होता है। जिसे डाक्टर बनना है, उसके लिए मेडिकल ही एकमात्र उपाय है लेकिन मेडिकल करने के बाद आप डॉक्टरी से अलग कुछ नहीं कर सकते। लेकिन नॉन मेडिकल संकाय ऐसा करने की आजादी बच्चों को देता है - राम किशोर , प्रसिद्ध शिक्षाविद , फतेहाबाद