शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा स्टैम सैल तकनीक पर की गई शोध रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस तकनीक के द्वारा अस्पताल में उपचाराधीन 9 वर्षीय लुधियाना निवासी सीमा की अंधेरी जिंदगी में फिर से ऊजाला आ गया। Stem Cell Treatment Hospital Now In India.
आखों की नसें सूख चुकी थी नौ वर्षीय सीमा की

लुधियाना के समराला चौक के निकट शिवाजी नगर निवासी सीमा पुत्री रणजीत कुमार करीब 5 साल की उम्र में दिमागी टीबी का शिकार हो गइ थी। दिमाग में टीबी का प्रकोप, आंख की नसों के सूखने व टीबी के ईलाज के कारण भी उसकी आंख की नसों को गहरा आघात लगा व उसकी आंखों की नस के बचने की संभावना क्षीण हो गई। इस दोहरे आघात को उसकी आंखे झेल नहीं पाई, जिसके परिणाम स्वरूप उसकी दोनों आंखें पूर्णता सूखकर (पीएल-नेगेटिव) यानि असाध्य अंधेपन का शिकार हो गई।
लुधियाना के अनेक बडे अस्पतालों में ईलाज करवाने के बावजूद उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद लुधियाना में रहने वाले डेराप्रेमियों के आग्रह पर वे बीती 3 जुलाई को शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पाल में आ गए। अस्पताल में बोन मैरो के ईलाज से एक असंभव सा प्रतीत होने वाला वाक्या हुआ। ईलाज करने के तीसरे ही दिन सीमा की आंखें जोकि सूरज के प्रकाश को भी नहीं देख पाती थी, वो बैटरी की मामूली सी रोशनी का अहसास करने लगी। हालांकि अभी उसकी आजीविका गुजारने लायक नजर नहीं आई है, लेकिन शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार लंबे समय से नस के सूखे रहने के बाद मृत: नस का जीवित होना एक अप्रत्याशित घटना है, जिसका श्रेय पूर्ण रूप से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को जाता है।
विभागाध्यक्ष डा. आदित्य इन्सां और वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. मोनिका इन्सां ने बताया कि वो शीघ्र ही खानपान व आयुर्वेदिक शैली के सहयोग से डीएनए रिपेयर के द्वारा ही असाध्य रोगों के ईलाज के लिए कोई सुुरक्षित विधि निकालने का प्रयास करेंगे। ज्ञात रहे कि पिछले दिनों पूज्य गुरुजी ने सत्संग के दौरान आह्वान किया था कि शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में खानपान व आयुर्वेदिक पद्धति से डीएनए रिपेयर सुधार पर शोध किया जाए।
(Originally posted on Sach Kahoon)